छत्तीसगढ़ की जनजाति गीत (Tribal Songs of Chhattisgarh CG ) -
1) छेरता गीत -
छेरता गीत मुख्यत: नव युवकों द्वारा गाया जाता है नई फसल आने की खुशी में छेरछेरा उत्सव बस्तर में प्रतिवर्ष पौष की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इसे छेरछेरा भी कहा जाता है बालक बालिकाओं की टोलियों द्वारा नगरों तथा गांव में कई दिनों तक हर्षोल्लासपूर्वक गाकर नई फसल का दान मांगा जाता है।
2) तारा गीत -
तारा गीत नवयुवतियों द्वारा नई फसल आने पर गाया जाता है।
3) रीलो गीत -
मुरिया एवं माड़िया जनजाति के विवाह गीतों को रीलो कहा जाता है यह मूलतः माड़िया-मुरिया गीत है जो स्त्री तथा पुरुष द्वारा बारी-बारी से गाया जाता है।
4) लेंजा गीत -
इसके गाने के लिए कोई विशेष तिथि निर्धारित नहीं होती है। इससे किसी भी समय गाया जा सकता है। यह एक विशुद्ध हल्बी गीत है। स्त्रियों और पुरुषों के द्वारा साथ-साथ तथा कभी-कभी पृथक तौर पर भी गाया जा सकता है।
5) चइत परब गीत -
यह गीत बस्तर में स्त्री तथा पुरुषों के बीच प्रतिद्वंद्विता का गीत है। प्रतिद्वंदिता की समाप्ति मुंदी मांगतो से होती है। यह चैत माह की रातों में गाया जाता है।
6) फाग गीत -
फाग गीत को फाल्गुन माह में होली उत्सव नृत्य के समय गोंड़ एवं बैगा जनजाति द्वारा गाया जाता है।
7) कोटनी गीत -
यह श्रृंगार प्रधान विवाह गीत है स्त्री एवं पुरुष सामूहिक रूप से गाते हैं इस गीत में ओड़िया तथा भतरी भाषा का प्रभाव होता है।
8) धनकुल / जगार गीत -
यह गीत बस्तर अंचल में हल्बा और भतरा जनजाति द्वारा गाया जाता है। इस गीत का वाद्य यंत्र मटकी, सूपा बाँस की खपच्ची एवं धनुष से मिलकर बना होता है।
9) घोटुल पाटा गीत -
यह मृत्यु के अवसर पर मुड़िया जनजाति द्वारा गाया जाता है। इसकी भाषा हल्बी होती है।
10) करमा गीत -
करमा नृत्य के समय कर्म देवता को प्रसन्न करने के लिए गाया जाता है। यह गीत बैगा, उरांव,मुंडा कमार और गोड़ जनजाति द्वारा गाया जाता है।
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