परिणाम - वी. वी. गिरी के कुशल नेतृत्व में समझौता हुआ। जिसके तहत् मजदूरों के निर्णय लिया गया।
2) द्वितीय आंदोलन -
वर्ष - 1924
नेतृत्वकर्ता - ठा. प्यारेलाल सिंह
कारण - प्रथम आंदोलन की सहायता से मजदूरों के हौसले बुलंद हो गए थे। वे अपने सारे समस्याओं का समाधान आंदोलन के रास्ते करना चाह रहे थे जिसके तहत 1924 में हड़ताल कर दी गई इसकी इसी दौरान मजदूरों में एक भोज का आयोजन किया। जिसमें एक सिपाही जूता पहन कर पहुंचा और खाना बनाने वाले बर्तन को लात से ठोकर मार दी। जिससे संयमित मजदूर उत्तेजित हो गए और लौटते वक्त रियासत के भ्रष्ट बाबू गंगाधर राव को थप्पड़ मार दी। उससे पुलिस को हस्तक्षेप का बहाना मिला और 13 मजदूर नेता हिरासत में लिए गए।जब उन्हें न्यायालय से जेल ले जा रहे थे तब इस दौरान साथी मजदूर आक्रमण कर उन्हें छुड़ा ले गए किंतु पुनः पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया ।इस दौरान एक मजदूर जरहु गोंड का पुलिस की गोली से मृत्यु हो गई।
परिणाम -
ठाकुर साहब को रियासत की शांति व्यवस्था के लिए खतरा मनाना माना गया और उन्हें निष्कासित कर दिया गया तत्पश्चात ठाकुर साहब राजनांदगांव छोड़कर रायपुर में रहने लगे।
किसी भी तरीके से मजदूरों को मना कर हड़ताल खत्म कराया गया।
3) तृतीय आंदोलन -
वर्ष - 1937
नेतृत्वकर्ता - ठा. प्यारेलाल सिंह
मजदूर प्रतिनिधि - रामचंद्र सखाराम रुईकर
कारण -
मजदूरों के वेतन में 10 प्रतिशत की कटौती।
लगभग 600 मजदूर बेगार हो गए।
परिणाम - 11 माह तक मिल बंद रहा।
नोट - ठाकुर प्यारेलाल निष्कासन के कारण रेल्वे स्टेशन के समीप विश्राम गृह में रहकर मजदूरों से संपर्क करते थे ।
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