छत्तीसगढ़ में ब्रिटिश शासन (1854-1947)-
- 11 दिसम्बर 1853 को भोंसला शासक रघुजी तृतीय की निः संतान स्थिति में मृत्यु हो गई।
- 13 मार्च 1854 में डलहौजी ने हड़पनीति से नागपुर राज्य का ब्रिटिश साम्राज्य में विलय कर लिया।
- इस समय छत्तीसगढ़ के प्रमुख अधिकारी के रूप में डुप्टी कमिश्नर नियुक्त किया जाता था।
- छत्तीसगढ़ के प्रथम डुप्टी कमिश्नर चार्ल्स सी. इलियट था।
- अतिरिक्त डुप्टी सहायक कमिश्नर गोपालराव (बिलासपुर), मोबिब-उल हसन (रायपुर) थे।
1) डिप्टी कमिश्नर एवं सहायक कमिश्नर की नियुक्ति -
- 02 नवंबर 1861 ई. को जिलेदारी व्यवस्था प्रारंभ हुआ था ।
- 1862 ई. में छत्तीसगढ़ को मध्यप्रान्त का एक संभाग बनाया गया।
- मुख्यालय - रायपुर
- नियुक्ति -
- छत्तीसगढ़ के प्रथम डिप्टी कमिश्नर - चार्ल्स सी. इलियट
- अतिरिक्त डिप्टी सहायक कमिश्नर - गोपालराव (बिलासपुर में ), मोबिब-उल-हसन (रायपुर)
2) तहसीलदार व्यवस्था -
- ब्रिटिश शासन ने डिप्टी कमिश्नर के प्रशासनिक कार्य में सहायता हेतु 1854 ई. में तहसीलदार व्यवस्था प्रारम्भ किये। तहसीलदार को दीवानी एवं फ़ौजदारी अधिकार प्रदान किये गए।
- छत्तीसगढ़ में प्रथम तहसील (1854 में )
- रायपुर
- धमतरी
- रतनपुर
- 1 फरवरी 1857 को नवागढ़ और धमधा तहसील बनाया गया। जिससे तहसीलों की संख्या 5 हो गई किन्तु जुलाई 1857 में धमधा के स्थान पर दुर्ग को नया तहसील बनाया गया।
मध्य प्रांत का निर्माण एवं छत्तीसगढ़ के जिले एवं संभाग व्यवस्था -
- 2 नवंबर 1861 में भारत शासन ने औपचारिक रूप से मध्य प्रांत का निर्माण किया जो वर्तमान छत्तीसगढ़ मध्य प्रदेश एवं महाराष्ट्र क्षेत्रफल जिसकी राजधानी नागपुर थी प्रशासन के लिए चीफ कमिश्नर की नियुक्ति की गई।
- 2 नवम्बर 1861 में मध्यप्रान्त के गठन के समय छत्तीसगढ़ में तीन जिले थे।
- संबलपुर
- बिलासपुर
- रायपुर
- 1862 में छत्तीसगढ़ को मध्य प्रांत का एक संभाग बनाया गया जिसका संभाग मुख्यालय रायपुर था।
3) पुलिस व्यवस्था -
- सितम्बर 1856 - छत्तीसगढ़ को 4 पुलिस विभागों में विभक्त किया जो इस प्रकार था -
- रायपुर सदर
- रायपुर तहसील
- धमतरी तहसील
- रतनपुर तहसील
- जनवरी 1858 - पंजाब पुलिस मैनुअल छत्तीसगढ़ में लागू कर दिया गया।जिसके तहत् छत्तीसगढ़ की पुलिस कर्मचारियों को मिलने वाले पोशाक, हथियार, ड्रिल एवं उनके अनुशासन संबंधी नियम बनाए गए।
- 1862 - पुलिस व्यवस्था में नवीन सुधार हुआ।इस सुधार के तहत छत्तीसगढ़ में पुलिस अधीक्षक, सहायक अधीक्षक एवं प्रत्येक थाने में थानेदार एवं उसके सहयोगी की नियुक्ति की गई।
जेल व्यवस्था -
- रायपुर में केंद्रीय जेल का निर्माण किया गया।
- डिप्टी कमिश्नर इलियट ने जेल प्रशासन में आवश्यक सुधार किए -
- कैदियों को राशन के स्थान पर मेस प्रारंभ किया गया।
- कैदियों की संख्या के आधार पर जेल के भवन का विस्तार किया गया।
- 1885-86 में बिलासपुर में जेल की स्थापना की है।
- 1862 मैं कैदियों के देखभाल के लिए एक सिविल सर्जन की नियुक्ति की गई।
- 1 वर्ष से अधिक सजा पाने वाले कैदियों को नागपुर कारागार में भेजा जाने लगा।
- जिला मुख्यालय लॉकअप बनाने की व्यवस्था की गई।
संभाग व्यवस्था -
- 1862 में छत्तीसगढ़ स्वतंत्र संभाग बनाया गया।
- जिसका मुख्यालय रायपुर था।
भौगोलिक पुनः गठन -
- 1905 में बंगाल विभाजन के तहत सम्बलपुर जिला ओड़िशा में शामिल किया गया।
- छोटा नागपुर के 5 रियासत - सरगुजा , कोरिया , चांगभखार , उदयपुर व जशपुर को छत्तीसगढ़ में शामिल किया गया।
राजस्व व्यवस्था -
ब्रिटिश काल में राजस्व की दृष्टि से संपूर्ण छत्तीसगढ़ को तीन भागों में बांटा गया था-
- ताहुतदारी
- खालसा क्षेत्र
- जमींदारी
1) ताहुतदारी -
- सैंडिस के शासन काल में निर्मित ताहुतदारी - लोरमी, तरेंगा
- रघुजी तृतीय के शासन काल में निर्मित ताहुतदारी - सिरपुर, लवन
- चार्ल्स इलियट के शासन में निर्मित ताहुतदारी- संजारी,खल्लारी, सिहावा
- सन 1854 में अंग्रेजों ने तिसाला बंदोबस्त आरंभ किया जो 8 वर्षों तक अर्थात 1862 तक चली।
2) खालसा क्षेत्र -
- यह शासकीय भूमि था।
- किसान गौंटिया के माध्यम से सीधे सरकार को भूमि कर अदा करते थे।
3) जमींदारी -
- यह जमींदारों के अधीन क्षेत्र था।
- जमींदार अपने सम्पूर्ण जमींदारी निर्धारित भू-राजस्व सरकार को अदा करते थे।
डाक व्यवस्था -
- ब्रिटिश शासन के आरंभ होते ही छत्तीसगढ़ में नवीन डाक व्यवस्था की स्थापना की गई।
- रायपुर में नवीन डाकघर प्रारंभ कर पोस्ट मास्टर की पद सपना की गई।
- डाक परिवहन के लिए हरकारे और घोड़ों की व्यवस्था की गई।
- अगस्त 1857 में रायपुर के डाकघर में पोस्ट मास्टर के रूप में लेफ्टिनेंट स्मिथ की नियुक्ति की गई।
- डाक टिकट पर महारानी विक्टोरिया का चित्र अंकित होता था जिसका मूल्य एक आना होता था।
मुद्रा व्यवस्था -
- 5 जून 1855 मराठाकालीन नागपुरी रुपया बंद कर ईस्ट इंडिया कंपनी ने सिक्के प्रारंभ किए।
- 1 मई 1855 को कंपनी का नया सिक्का जारी किया गया।
- सरकारी भुगतान कंपनी के रुपए में ही किया जाने लगा।