महाजनपद काल और मौर्य काल

महाजनपद :-

                             पुरातत्वविद डॉ. हीरालाल के अनुसार छत्तीसगढ़ 'चेदिस महाजनपद ' का भाग था। उनके अनुसार छत्तीसगढ़ शब्द चेदिसगढ़ का अपभ्रंश है। 
                  पुरातत्वविद  जी. वी. पिल्गर के अनुसार 'मगध' महाजनपद (पटना , बिहार ) के राजा जरासंघ के अत्यचार से पीड़ित होकर छत्तीस घर इस प्रदेश में आकर बसे। कालांतर में यही छत्तीस घर 'छत्तीसगढ़ ' में रूपांतरित हुआ। 
                   बौध्द ग्रन्थ 'अवदानशतक तथा ह्वेनसांग की यात्रा वृत्तांत के अनुसार इसी समय महात्मा बुद्ध छत्तीसगढ़ की यात्रा पर आए थे। 
बौद्ध धर्मग्रन्थ - अंगुत्तर निकाय 
जैन धर्मग्रन्थ - भगवती सूत्र के अनुसार कोसल एक महाजनपद था , जिसके दो भाग थे -
1. उत्तर कोसल 


2. दक्षिण कोसल (छ.ग.)

मौर्य काल -
               मौर्य के समय छत्तीसगढ़ कलिंग देश का भाग था। 621  ई. में अशोक के कलिंग विजय के पश्चात छत्तीसगढ़ मौर्य साम्राज्य का भाग बना। 
               छत्तीसगढ़ का अजंता ' जोगीमारा की गुफा ' मौर्यकाल की महत्वपूर्ण  पुरातात्विक धरोहर है। गुफा के अंदर दीवारों पर बने चित्रों में पाली भाषा और ब्राह्मी लिपि में 'सुतनुका ' एवं 'देवदत्त ' की प्रेमगाथा उत्कीर्ण है। 

मौर्य कालीन साक्ष्य -

1) सिक्के - 

छत्तीसगढ़ के विभिन्न स्थानों में मौर्यकालीन चांदी और तांबे के आहत सिक्के प्राप्त हुए हैं जिसका विवरण निम्नानुसार है-

  1. सक्ती - ठठरी
  2. जांजगीर चाम्पा - अकलतरा
  3. सारंगढ़ - बार व देवगांव
  4. रायपुर - तारापुर, आरंग, उड़ेला(डॉ. रमेंद्रनाथ मिश्रा ने 1969-70 में आरंग तथा गुजरा गांव में आहत सिक्के की खोज की थी।)
चांदी के सिक्के - अकलतरा , तारापुर 
आहत मुद्राएँ/ पंचमार्क मुद्राएँ - आरंग, तारापुर, उड़ेला

2) शिलालेख -

  1. रामगढ़ की पहाड़ी में स्थित जोगीमारा की गुफा में।
  2. इसकी भाषा पालि एवं लिपि ब्राह्मी है।

3) मूर्ति - 

कोटाडोर, मनेंद्रगढ़ (अशोक कालीन )

4) यात्रा वृत्तांत - 

ह्वेनसांग के यात्रा विवरण अनुसार अशोक ने यहां अनेक बौद्ध स्तूपों का निर्माण करवाया था।

  • भित्ति चित्र - जोगी मारा की गुफा , सीताबेंगरा की गुफा 
  • जोगीमारा की गुफा - अशोक के खुदे अभिलेख
  • भाषा - पाली , लिपि - ब्राम्ही 
  • सीताबेंगरा की गुफा- विश्व की प्राचीनतम नाट्यशाला नृत्यांगना देवदासी सुतनुका एवं देवदत्त की प्रणय गाथा का उल्लेख 
  • मुद्रा - ठठरी, अकलतरा (जांजगीर -चांपा ), बार (रायगढ़ )
  •  चाँदी के सिक्के- सारंगढ़(रायगढ़ ), अकलतरा (जांजगीर- चांपा ), तारापुर (रायपुर )
  • संपीडित मुद्रा -  आरंग , तारापुर , उड़ेला (रायपुर )
  • अवशेष- बस्तर , मल्हार (बिलासपुर ), सिरपुर (महासमुंद )
  • धर्म - तुतुरिया (बौद्ध धर्म )
  • लाट - कपाटपुरम (सरगुजा )