छत्तीसगढ़ की प्रमुख लोकगाथाएँ [Major Folk tales of Chhattisgarh]-
छत्तीसगढ़ की लोकगाथाओं में कथानक की प्रधानता पाई जाती है किन्तु छत्तीसगढ़ की इन लोकगाथाओं का विषय विविध है फिर भी इनमें प्रेम तत्व की प्रधानता पाई जाती है। साथ ही जीवन के संघर्ष , वीरता ,चमत्कार एवं अलौकिकताओं का रोचक वर्णन मिलता है।
छत्तीसगढ़ की प्रमुख लोकगाथाएँ -
अहिमन रानी की गाथा -
- अहिमन रानी राजा वीरसिंह की पत्नी थी।
- इस गाथा में रानी के पुनर्जन्म एवं पति से पुनर्मिलन की गाथा है।
- इस गाथा में दाम्पत्य जीवन ,मानवीय भावनों एवं पारलौकिक शक्तियों का सुंदर चित्रण मिलता है।
केवला रानी की गाथा -
- केवला रानी हरदी शहर क राजा मदनसिंह की पत्नी थी।
- इसमें प्रेमांकुर का पल्लवित होना , विरह और पुनर्मिलन की गाथा है।
रेवा रानी की गाथा -
- रेवा रानी राजा उग्रसेन की पत्नी थी।
- इस गाथा में समाज द्वारा प्रताड़ित नारी तथा पुरुष की आसुरी प्रवृत्ति का शिकार बनना एवं यातनाओं का चित्रण है।
राजा वीरसिंह की गाथा -
- यह छत्तीसगढ़ की सर्वप्रचलित प्रेम प्रधान गाथा है।
- इस गाथा में जादू -टोना से रानी का अपहरण , रानी की खोज एवं रानी का राजा से भेंट जैसी घटनाओं का विवरण है।
फूलबासन की गाथा -
- यह गाथा सीता द्वारा लक्ष्मण से फूलबासन नामक फूल लाने के अनुरोध पर आधारित है।
पंडवानी गाथा -
- छत्तीसगढ़ की सभी गाथाओं में सबसे लंबी , बड़ी एवं वीररस प्रधान है।
- इसमें द्रौपदी प्रसंग में तीजा (हरतालिका ) व्रत की छत्तीसगढ़ी परम्पराओं का सुंदर चित्रण मिलता है।
- महाभारत के पांडवों की वीरगाथा का भी वर्णन किया जाता है।
- छत्तीसगढ़ में प्रमुखतः परधान एवं देवार जाति के द्वारा इसका गायन किया जाता है।
फूलकुँवर की गाथा -
- फूलकुँवर राजा जगत की बेटी थी।
- इस गाथा में फूलकुँवर की मुगलों से युद्ध का पराक्रम व वीरता का वर्णन मिलता है।
देवी की गाथा -
- यह गाथा अकबर के समय की है।
- इस गाथा में देवी के क्रोध एवं प्रकोप को दूर करने का वर्णन मिलता है।
कल्याण साह की गाथा -
- कल्याण साह रतनपुर कलचुरी वंश शासक था।
- मुगलकालीन शासक जहांगीर का समकालीन था।
- गोपाल राय असाधारण वीरता का उल्लेख है।
गोपल्ला गीत -
- यह कलचुरी वंश से संबंधित है।
- इस गाथा में कल्याण साय का जहांगीर के दरबार में 8 वर्ष रहने का वर्णन मिलता है।
रायसिंह का पवारा -
- इस गाथा में रायसिंह के सम्बलपुर अभियान का वर्णन है।
- इस गाथा में ककिरदा का किला टूटने का वर्णन है।
- इस गाथा में कोकराय लक्ष्मीनारायण की वीरता का भी वर्णन मिलता है।
ढोला - मारू की गाथा -
- यह मूलतः राजस्थान की लोकगाथा है।
- इसमें ढोला - मारू की असर प्रेम का उकृष्ट का वर्णन है।
- इस गाथा में ढोला की वीरता , बुद्धि कौशल और मारू की जीवन के बारे में चित्रण मिलता है।
- सुरुजबाई खाण्डे एवं जगन्नाथ कुम्हार प्रमुख कलाकार है।
लोरिक - चंदा या चंदैनी -
- यह गाथा लोरिक और चंदा की प्रेम गाथों का वर्णन है।
- चंदैनी गोंदा लोक गायन के प्रमुख पात्र लोरिक और चंदा हैं।
- यह शृंगार रस पर आधारित है।
- चिंतादास इसके प्रमुख गायक है।
- चंदैनी गोंदा लोकनाट्य में रवान यादव ने पार्श्व संगीत दिया था।
- इसे चंदा रउताइन तथा उढ़रिया नाम से भी जाना जाता है।
- राउत जाति के जीवन का गौरवपूर्व चित्रण इस गाथा में किया जाता है।
आल्हा -उदल की गाथा -
- यह बुंदेलखंड के राजा परमार देव की गाथा है।
- इसे घोड़ा नाच के नाम से भी जाना जाता है।
- इस गायन में वीर रस की प्रधानता होती है।
- छत्तीसगढ़ के ग्रामों में आल्हा वर्षा ऋतू ,शीत ऋतु और ग्रीष्म ऋतु में गाते है।
सरबन गाथा -
- यह एक पौराणिक गाथा है जो सरवन कुमार पर आधारित है।
- इसमें पितृ भक्ति का आदर्श प्रस्तुत किया गया है।
- इसमें दशरथ के बाण से सरवन की मृत्यु एवं अंधे माता -पिता का दशरथ को श्राप देने का वर्णन हैं।
- बसदेवा गायन सरवन कुमार से संबंधित है।
सीताराम नायक -
- यह एक व्यापारिक समाज की कहानी है।
रसालू की गाथा -
- यह रसालू की वीरता का अतिश्योक्तिपूर्ण गाथा है।
दसमत कइना गाथा -
- यह गाथा प्रमुखतः दुर्ग संभाग में प्रचलित है।
- दसमत मंदिर ओढ़ार गांव दुर्ग जिला में स्थित है।
- देवार जाति के गायक इस लोकगाथा को गाते है।
0 Comments