छत्तीसगढ़ में सिंचाई व्यवस्था Irrigation System in Chhattisgarh-
जल हाइड्रोजन तथा ऑक्सीजन का यौगिक है। पृथ्वी के लगभग 71 % भू -भाग पर जल का विस्तार है , जिसके अंतर्गत महासागर ,सागर ,झीलें , नदियाँ ,ग्लेशियर इत्यादि सम्मिलित हैं। यह जीव -जंतुओं, पादपों की जीवनोपयोगी एवं मूलभूत आवश्यकता का एक प्रमुख प्राकृतिक संसाधन तथा बहुमूल्य राष्ट्रीय संपदा है।
जल संसाधनों का कुशलतम उपयोग तथा अधिकांश विकास अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। इसके दो प्रमुख स्त्रोत हैं -
- धरातलीय जल
- भूमिगत जल
1. धरातलीय जल -
धरातलीय जल के प्रमुख स्त्रोत नदियाँ ,झीले ,जलाशय इत्यादि हैं। मैदानी नदियाँ सिंचाई, पेयजल के लिए विशेष रूप से उपयोगी हैं।
2. भूमिगत जल -
'भूमिगत जल' से अभिप्राय है वह पानी जो चट्टानों और मिट्टी के माध्यम से रिसकर धरातल की निचली सतहों मन भंडारित होता रहता है। जिन चट्टानों में यह जल संगृहीत होता है उन्हें 'जलीय चट्टानी परत 'कहते है। देश के विभिन्न भू - भागों में भौम जल का विकास समान रूप से नहीं हुआ है। कुल क्षेत्रों में भौम जल प्रचुर मात्रा में है। तो वहीं कुल क्षेत्रों में इनकी कमी है।
छत्तीसगढ़ में सिंचाई व्यवस्था Irrigation system in Chhattisgarh-
कुल सिंचाई सृजन क्षमता -
- राज्य गठन समय प्रदेश में निर्मित 03 वृहद ,29 मध्यम और 1945 लघु सिंचाई योजनाओं से कुल 13.28 लाख हेक्टे. सिंचाई क्षमता सृजित थी। जो वर्तमान में (मार्च 2021तक) 21.34 लाख हेक्टे. हो गई। इस तरह राज्य निर्माण के बाद कुल 8.06 हेक्ट. क्षेत्र में अतिरिक्त सिंचाई क्षमता की वृद्धि हुई।
- प्रतिशत - 38.20 %
निर्मित एवं निर्माणधीन परियोजना -
वर्तमान में 08 वृहद , 37 मध्यम और 2477 लघु सिंचाई योजनाएं तथा 30 नलकूप योजना एवं 806 एनीकट /स्टॉपडेम निर्मित है। जबकि 04 वृहद , 01 मध्यम और 333 लघु सिचाई योजना तथा 01 नलकूप योजना एवं 161 एनीकट/ स्टॉपडेम निर्माणाधीन हैं।
प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना -
प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के अंतर्गत भारत सरकार द्वारा चिन्हांकित 99 महत्वपूर्ण में प्रदेश की प्रमुख 3 योजनाएं केलो वृहद सिंचाई परियोजना ,खारंग सिंचाई परियोजना और मनियारी सिंचाई परियोजना शामिल की गई है।
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