महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार योजना / Mahatma Gandhi National Rural Employment Guarantee Act [MGNREGA] -
राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना यह मात्र एक योजना या कार्यक्रम नहीं , बल्कि एक अधिनियम है , जिससे रोजगार की कानूनी गारंटी दी गई है।
अधिनियम तिथि -
राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम , 25 अगस्त ,2005 को पारित हुआ।
क्रियान्वयन विभाग - ग्रामीण विकास मंत्रालय
उद्देश्य -
गरीबी रेखा से नीचे रह रहे अर्द्ध या अकुशल ग्रामीण लोगों की क्रय शक्ति को बढ़ाने के उद्देश्य के साथ शुरू किया गया।
काम का अधिकार -
ग्रामीण परिवार को एक वित्तीय वर्ष में 100 दिनों की रोजगार की कानूनी गारंटी देता है।
पंचायत की भूमिका -
नियोजन और कार्यान्वयन में पंचायतों की प्रमुख भूमिका होगी। कार्य की सिफारिश ग्राम सभा करेगी।
पहला चरण -
2 फरवरी 2006 से आंध्रप्रदेश के अनंतपुर जिले से प्रारम्भ , देश के कुल 200 जिले शामिल , छत्तीसगढ़ के 11 जिले शामिल
द्वितीय चरण -
1 अप्रैल 2007 से , देश में 130 नये जिले शामिल छत्तीसगढ़ के 4 जिले शामिल
तृतीय चरण -
1 अप्रैल 2008 से देश के सभी जिलों में आरंभ समस्त जिले में योजना लागू।
नाम परिवर्तन -
2 अक्टूबर, 2009 से राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कार्यक्रम का नाम बदलकर महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कार्यक्रम (मनरेगा ) कर दिया गया है।
इस योजना के प्रमुख प्रावधान -
काम की गारंटी -
100 दिनों की रोजगार की कानूनी गारंटी देता है। छत्तीसगढ़ में 2013-2014 से मनरेगा के तहत 150 दिन का रोजगार प्रदान किया जा रहा है। इस अतिरिक्त व्यय को राज्य सरकार वहन करती है।
अतिरिक्त रोजगार -
- वन अधिकार पट्टाधारकों को भारत सरकार ने 150 दिन रोजगार का प्रावधान किया है।
- प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण ) के तहत आवास निर्माण के लिए मनरेगा के अंतर्गत सामान्य क्षेत्रों में 90 दिन और पहाड़ी कक्षेत्रों में 95 दिन का अतिरिक्त लाभ मिलता है।
- मनरेगा के अंतर्गत छत्तीसगढ़ में सूखा - प्रभावित क्षेत्रों में एक परिवार 200 दिनों का रोजगार प्राप्त कर सकता है।
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