खिलाफत आंदोलन और छत्तीसगढ़ -
- यह मुसलमानों के हितों का संरक्षण करने लिए आंदोलन था।
- छत्तीसगढ़ में खिलाफत समिति का गठन किया गया था।
- 17 मार्च, 1920ई. में मुसलमानों के धार्मिक गुरु के सम्मान में एक आमसभा रायपुर में हुई।
- पं. सुंदरलाल शर्मा - " हम लोग हिंदु और मुसलमान नहीं रहे बल्कि सभी अर्थों में हम हिंदुस्तानी हैं। "
- रघुनंदन सिंगरौली ने 28 अगस्त, 1942 ई. को दुर्ग जिले के कचहरी में आग लगा दिए थे।
- 05 सितम्बर, 1942 को अपने मित्र जसवंत सिंह के साथ नगरपालिका में आग लगा दिए, इस तरह सिंगरौल के कारनामे से दुर्ग में उत्तेजना की लहर फैली थी।
असहयोग आंदोलन और छत्तीसगढ़ -
- कण्डेल नहर सत्याग्रह के रूप में छत्तीसगढ़ में यह आंदोलन शुरू हुआ।
- प्रमुख नेता - पं. रविशंकर शुक्ल , पं. सुंदरलाल शर्मा , ठाकुर प्यारेलाल सिंह आदि इसके नायक थे।
- यह आंदोलन 1920 से 1922 तक चला था।
- इस आंदोलन के समय पं . वामनराव लाखे , शेरखान आदि ने उपाधियों का त्याग किया।
- राष्ट्रीय विद्यालयों की स्थापना की गयी।
- पं . रविशंकर शुक्ल , बैरिस्टर छेदीलाल आदि ने वकालत का त्याग किया।
- सिहावा नगरी सत्याग्रह तथा मजदूर आंदोलन , इस आंदोलन का प्रभाव था।
- चौरा -चौरी घटना से दुःखी होकर गाँधीजी ने यह आंदोलन समाप्त कर दिया।
- इस आंदोलन के दौरान गाँधीजी , राजेन्द्र प्रसाद छत्तीसगढ़ आए थे।
झण्डा सत्याग्रह -
- 1923 में यह सत्याग्रह नागपुर में प्रारम्भ हुआ।
- श्यामलाल सोम , विश्वभर पटेल ने इसमें भाग लिया।
- 31 मार्च 1923 को क्रांतिकुमार भारती ने बिलासपुर के टाउन हॉल में यूनियन जेक के स्थान पर तिरंगा फहराकर इस सत्याग्रह की शुरुआत किया था।
- छत्तीसगढ़ से पं. रविशंकर शुक्ल ने भाग लिया।
छत्तीसगढ़ में जंगल सत्याग्रह -
- छत्तीसगढ़ की अधिकांश आदिवासियों का जीविका वनोपज पर निर्भर था, किन्तु ब्रिटिश सरकार नए कानून बनाकर इसके अधिकारों का हनन करने लगे और इसका शोषण करने लगे।
- परिणामस्वरूप छत्तीसगढ़ में वन कानूनों का विरोध किया जाने लगा, जिसे जंगल सत्याग्रह के नाम से जाना जाता है।
सिहावा नगरी जंगल सत्याग्रह -