Chhattisgarh mein krishi / छत्तीसगढ़ में कृषि

Chhattisgarh ki krishi / छत्तीसगढ़ की कृषि

Chhattisgarh mein krishi

छत्तीसगढ़ में कृषि/Chhattisgarh mein krishi -

छत्तीसगढ़ को धान का कटोरा कहा जाता है , इस कथन का निहतार्थ यह है कि छत्तीसगढ़ में
  1. धान की खेती अधिक होती है।
  2. लोगों की आजीविका कृषि पर आधारित है।
  3. छत्तीसगढ़ एक कृषि प्रधान राज्य है।
  • छत्तीसगढ़ का लगभग 80% जनसंख्या कृषि और कृषि आधारित उद्योग धंधो पर आश्रित है।
  • छत्तीसगढ़ के कुल भूमि का लगभग 51.6 % प्रतिशत भाग में कृषि कार्य किया जाता है।
  • प्रदेश के 30.46 लाख कृषक परिवारों में से 76 % लघु व सीमांत श्रेणी के कृषक है।
  • प्रदेश में पहली बार 2012-13 में पृथक कृषि बजट प्रस्तुत किया गया था।
  • फ़सल क्षेत्र का राज्य के GSDP में भागीदारी में 2018-19 में 2418422 लाख अनुमानित है। प्रतिशत में यह योगदान 11. 07 % है।

कृषि जोत का आकार -

भारतीय कृषि व्यवस्था में जोत के आकार से तात्पर्य उस भू- खंड से है। जो एक कृषक के स्वामित्व क्षेत्र के अंतर्गत आता है। इसके लिए आवश्यक नहीं है सभी भू - खंड एक ही स्थान पर हो,इसी आकार पर लघु व् सीमान्त कृषक को निर्धारित किया जाता है।
  • लघु कृषक से तात्पर्य उस कृषक है , जिसके कृषि जोत का आकर 1-2 हेक्टेयर होती है।
  • सीमान्त कृषक से तात्पर्य उस कृषक है ,जिसके कृषि जोट का आकर 1 हेक्टेयर से कम है।
  1. कृषि जोतों की संख्या - 37.46 लाख
  2. कृषि जोतों की क्षेत्र - 50.84 लाख हेक्टेयर
  3. कृषि जोत का औसत आधार - 1.36 हेक्टेयर

राज्य की कृषि नीति 2012 -

  • राज्य में कृषि के विकास को प्राथमिकता देते हुए , शासन द्वारा कृषि को उद्योग का दर्जा देना प्रस्तावित है।
  • वाज्यिक फसलों के लिए परती भूमि (fallow land ) का विकास निजी क्षेत्रों द्वारा किया जाने को प्रोत्साहित करना।
  • फसलों की उत्पादकता वृद्धि हेतु सिंचाई सुविधा का विकास।
  • प्रति एकड़ उत्पादकता बढ़ाना।
  • सर्वोत्तम बीज का उपयोग
  • मशीनीकृत व आधुनिक कृषि गतिविधियों का बढ़ाना देना।
  • फ़सल चक्र में आवश्यक परिवर्तन एवं अंतरवर्ती फसलों को प्रोत्साहन करना।

छत्तीसगढ़ में कृषि जलवायु क्षेत्र -

क्षेत्रीय स्थालाकृति या भौगोलिक दृष्टि से छत्तीसगढ़ को तीन कृषि जलवायु क्षेत्र में बाँटा गया है।
  1. उत्तरी पहाड़ी क्षेत्र
  2. छत्तीसगढ़ का मैदान
  3. बस्तर का पठारी क्षेत्र

1 )उत्तरी पहाड़ी क्षेत्र -

  • क्षेत्र - सरगुजा संभाग , राज्य की लगभग 20% भूमि इसके अंतर्गत आता है।
  • मृदा - टिकरा , छावर ,गादछावर , बाहरा
  • औसत वार्षिक वर्षा - 1241.5 mm
  • फ़सल -
  1. यह क्षेत्र विषय धरातलीय , पर्वतीय , पठारी व सघन वनों से आच्छादित है अतः कृषि हेतु उपयुक्त क्षेत्र नहीं है।
  2. परन्तु वर्तमान में कृषि की संभावना बढ़ी है।
  3. इस क्षेत्र में बगवानी फसलों के लिए जलवायु उपर्युक्त है।
  4. यहाँ मुख्यतः धान , मक्का , आलू , चाय ,सेव आदि की फसल होती है।
  • विशेष -
  1. जशपुर में चाय सवर्धन किया जा रहा है।
  2. मैनपाट में प्रदेश का पहला सेव का बागान लगाया जा रहा है

2) छत्तीसगढ़ का मैदान -

  • क्षेत्र - सम्पूर्ण रायपुर ,बिलासपुर ,दुर्ग संभाग और कांकेर जिले का चरामा व भानुप्रतापुर (राज्य की लगभग 50 % भूमि आती है। )
  • मृदा - लाल - पीली मृदा (मटासी ), काली मृदा (कन्हार),डोरसा
  • औसत वार्षिक वर्षा - 1225.1 mm
  • फ़सल-
  1. इस क्षेत्र में मैदानी भूमि , सिंचाई के उपर्युक्त साधन , कृषि साधन के कारण कृषि कार्य अधिक किया जाता है।
  2. यहाँ 60-80% भाग में धान की खेती की जाती है।
  3. यहाँ मुख्यतः धान ,गेहूं ,चना ,लाख ,सोयाबीन ,मूँगफली है।
  4. इस क्षेत्र की नगदी फ़सल गन्ना है।

3) बस्तर का पठार -

  • क्षेत्र - सम्पूर्ण दंतेवाड़ा ,बीजापुर ,सुकमा ,नारायणपुर ,बस्तर ,कोंडागांव तथा कांकेर जिले का कांकेर ,नहरपुर ,अंतागढ़ ,पखांजुर (राज्य की लगभग 28 % भूमि इस कृषि जलवायु प्रदेश के अंतर्गत आते हैं।)
  • मृदा - मरहान ,टिकरा ,माल ,गाभर
  • औसत वार्षिक वर्षा - 1521 mm
  • फ़सल -
  1. यह क्षेत्र पहाड़ी ,पठारी व सघन वनों से आच्छादित है। जिसके कारण कृषि कार्य अपेक्षाकृत कठिन है।
  2. लाल दोमट व् लाल रेतीली मृदा के कारण मृदा की उर्वरक क्षमता कम होती है।
  3. यहाँ मुख्य रूप से मोठे अनाज जैसे - गोदो कुटकी ,कुल्थी ,रागी उगाये जाते है।
  • विशेष - बस्तर में काजू अनुसंधान केंद्र है।

छत्तीसगढ़ के फसलों का वर्गीकरण -

1) मौसम के आधार पर -

  • खरीफ़
  • रवि

2) उपयोग के आधार पर -

  • खाद्यान्न
  • दलहन
  • तिलहन

खरीफ़ फ़सल -

  • बोवाई - जून - जुलाई के माह के मध्य में
  • कटाई - शीत ऋतू की प्रारंभ
  • प्रमुख फ़सल - धान ,मक्का ,ज्वार ,बाजरा ,मूँगफली ,तिल ,गन्ना ,कपास आदि।
  • विशेष - खरीफ़ फ़सल का उत्पादन वर्षा पर निर्भर रहता है।

रवि फ़सल -

  • बोवाई - शीत ऋतू
  • कटाई - ग्रीष्म ऋतू के प्रारंभ
  • प्रमुख फ़सल - गेहूँ , चना , मटर ,राई - सरसों ,तिवरा ,अलसी
  • विशेष - पानी की आवश्यकता काम होती है ,लेकिन सिंचाई आवश्यक होती है।

खाद्यान्न फसलें -

  • खाद्यान्न फसलें सामान्यतः सभी जिलों में बोई जाती है।
  • खाद्यान्न फ़सल के अंतर्गत धान ,मक्का ,गेहूँ ,कोदो कुटकी ,ज्वार ,छोटे अनाज ,जौ आदि फसलें उगाई जाती है। जिसमे प्रमुख फ़सल धान है।

2017 -18 में खाद्यान्न फसलों का उत्पादन क्रम -

धान >मक्का >गेहूँ >कोदो कुटकी >छोटे अनाज >ज्वार >जौ 

खाद्यान्न फसलों का उत्पादन (हज़ार मीट्रिक टन में)-

  • धान - 5749.06
  • मक्का - 306.94
  • गेहूँ - 141.64
  • कोदो कुटकी - 14.87
  • छोटे अनाज - 5.74
  • ज्वार - 4.7
  • जौ - 1.96

दलहन फ़सल -

  • दलहन फसलें  प्रोटीन का प्रमुख स्रोत हैं। 
  • दलहन फसलों का भूमि में नाइट्रोजन स्थिरीकरण में प्रमुख़ योगदान होता है। जिससे मृदा की उर्वरता में वृद्धि होती है। 
  • छत्तीसगढ़ में चना मुख्य दलहन फ़सल है। 

2017-18 में दलहन फसलों के उत्पादन का क्रम -


चना >तिवरा >उरद >तुअर >कुल्थी >मूँग मोठ 



दलहन फ़सलें का उत्पादन (हज़ार मीट्रिक टन में ) - 

  • चना - 331.67
  • तिवरा - 129.79
  • उरद - 28.52
  • तुअर - 25.74
  • कुल्थी - 15.76
  • मुंग मोठ - 4.92

तिलहन फ़सल -

  • छत्तीसगढ़ प्रमुख़ तिलहन मूँगफली है। 

2017-18 में तिलहन फसलों के उत्पादन का क्रम - 

मूँगफली >सोयबीन >राई -सरसों >रामतिल >तिल >अलसी 

तिलहन फसलों का उत्पादन (हज़ार मीट्रिक टन ) -

  • मूँगफली - 32.11
  • सोयाबीन - 30.31
  • राई -सरसों - 18.85
  • रायतिल - 10.69
  • तिल - 5.19
  • अलसी - 4.57

सभी फसलों में उत्पादन क्रम -

धान >चना>मक्का >गेहूँ 

धान -

  • यह प्रदेश की प्रायः सभी जिलों की मुख्य फ़सल है। प्रदेश मैदानी भागों में बड़े पैमाने पर धान की खेती होती है। 

भौगोलिक  परिस्थिति - 

  • तापमान - 28 - 30°C (बोते समय काम तापमान की आवश्यकता होती है,फ़सल की वृद्धि के साथ अधिक तापमान आवश्यक होती है। )
  • वर्षा - 1000 -1500 mm 
  • मृदा - मटासी ,कन्हार ,डोरसा 
  • सिंचाई - मानसून वर्षा पर आधारित , मानसून वर्षा अनिश्चित होती है , अतः कम वर्षा की स्थिति में पानी की कमी सिंचाई से पूरी की जाती है।
  • धान के प्रकार - स्वर्णा ,महामाया, पूर्णिमा ,IR -36 , IR -64 , बम्लेश्वरी ,दंतेश्वरी ,जवाफूल 
  • पद्धति - मुख्यतः छिंटा पद्धति से 
  • उत्पादन - 
  1. 2017-18 में प्रदेश के लगभग 39.76 लाख हेक्टेयर भूमि पर धान की खेती की गई थी। 
  2. 2017 -18 में 8691.06 हज़ार मीट्रिक टन धान का उत्पादन हुआ। 
  • सर्वाधिक उत्पादन - जाँजगीर - चांपा 
  • विशेष - राज्य सरकार  धान उत्पादन में तीन बार कृषि कर्मण पुरस्कार प्राप्त हुआ है। (2010 -11 ,2012 -13 ,2013 -14 ,2014 -15 (दलहन में ))





मक्का -

  • मक्का उष्ण कटिबंधीय पौधा है। 
  • यह खरीफ़ फ़सल है, जो प्रदेश में धान के बाद सर्वाधिक उत्पादन होने वाला फ़सल है। 
  • तापमान - 21-27°C 
  • मृदा - लाल -बलुई रेतीली 
  • उपयोग - स्टार्च , एल्कोहल , कागज़ आदि। 
  • सर्वाधिक उत्पादन - बलरामपुर >कोण्डागांव >बस्तर 
  • विशेष - 
  1. 2017-18 में मक्का का उत्पादन 119.6 हज़ार हेक्टेयर भूमि पर हुआ। 
  2. 2017-18 में 306.94 हज़ार मीट्रिक टन उत्पादन हुआ। 

गेहूँ -

  • ये शीतोष्ण कटिबंधीय पौधा है। 
  • तापमान - 10-15°C 
  • वर्षा - 100 -150 mm 
  • मृदा - काली मृदा , डोमट मृदा 
  • प्रजाति - शरवती , बिलासा-505 ,रतन -5010, अरपा 
  • प्रमुख उत्पादन जिला - राजनाँदगाँव >बलरामपुर >बेमेतरा 
  • विशेष - 
  1. 2017 -18 में गेहूँ का उत्पादन 102.2 हज़ार हेक्टेयर भूमि में हुआ। 
  2. 2017-18  में 141.64 हज़ार मीट्रिक टन उत्पादन हुआ। 

कोदो -कुटकी -

  • यह प्रदेश का प्रमुख खाद्यान्न फसलों में से एक है। यह काम उर्वरक असमतल तथा काम वर्षा वाले क्षेत्र में उगाया जाता है। 
  • यह ग्रामीण व आदिवासी क्षेत्र में प्रमुख वैकल्पित खाद्यान्न फ़सल है। 
  • औषधीय महत्व व  पोषक तत्त्व क कारण इसका महत्व बढ़ रहा है। 
  • यह एक प्रकार का मोटा अनाज है। 
  • विशेष -
  1. 2017 -18  में 68.8 हज़ार हेक्टेयर भूमि में उत्पादन हुआ तथा 14.87 हज़ार मीट्रिक टन उत्पादन हुआ।   

छत्तीसगढ़ की कृषि की विशेषताएँ -

  • छत्तीसगढ़ में कृषि जीवन निर्वाह का एक मुख्य साधन है। 
  • छत्तीसगढ़ में कृषि पर जनसंख्या का अत्याधिक दबाव है , लगभग 80% जनसंख्या का कृषि पर आधारित है। 
  • छत्तीसगढ़ में रवि व खरीफ़ फ़सल दोनों का उत्पादन होता है। 
  • छत्तीसगढ़ में खरीफ़ के मौसम में मोटे अनाज की खेती की जाती है। 
  • छत्तीसगढ़ में कृषि परंपरागत तकनीक की उपयोग होती है। 
  • छत्तीसगढ़ में कृषि पूरी तरह से मानसून वर्षा पर आधारित है। 

जैविक कृषि -

  • जैविक कृषि को बढ़ावा देने हेतु 'जैविक कृषि योजना ' आरंभ की गई है। 
  • उद्देश्य - 
  1. राज्य में जैविक खेती द्वारा लागत में कमी एवं टिकाऊ उत्पादकता प्राप्त करना। 
  2. कृषको क्षमता विकास करना। 
  3. पूर्णतः जैविक जिले - दंतेवाड़ा ,बीजापुर ,नारायणपुर ,सुकमा ,गरियाबंद 

  • प्रदेश के 22 जिलों में एक -एक विकासखंड को पूर्ण जैविक वि.वि. के रूप में विकसित किया जाएगा। 

किसान उपभोक्ता बाजार - 

  • कृषक अपनी कृषि उपज को सीधे उपभोक्ताओं को विक्रय कर सके इसलिए किसान उपभोक्ता बाज़ार विकसित किए गए है। 
  • कृषि उपज मंडी समिति धमतरी किसान उपभोक्ता उपमंडी प्रांगण में 2017 से संचालित है। 
  • राज्य शासन द्वारा रायपुर व बेमेतरा के किसान उपभोक्ता बाज़ार पूर्ण किये जा चुके है। 
  • बिलासपुर , रायगढ़ (चिकली, बरमकेला ), राजनाँदगाँव (बसंतपुर) के मंडी प्रांगण में किसान उपभोक्ता उपमंडी प्रांगण अधिसूचित किया गया है। जहाँ आवश्यक सुविधा व संरचना प्रक्रियाधीन है। 

राष्ट्रीय कृषि बाज़ार -

भारत सरकार द्वारा 585 कृषि उपमंडियो को राष्ट्रीय कृषि बाज़ार से जोड़ने का निर्माण लिया गया है। छत्तीसगढ़ राज्य के 14 नियमित कृषि उपज मंडी को राष्ट्रीय कृषि बाज़ार से जोड़ने हेतु चिन्हांकित किया गया है।

  • प्रथम चरण में - राजनाँदगाँव , कवर्धा , भाटापारा ,कुरुद ,नवापारा 
  • द्वितीय चरण में - रायपुर ,दुर्ग ,धमतरी ,बिलासपुर ,जगदलपुर ,राजिम ,बालोद ,मुंगेली ,रायगढ़। 


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